Diwali Detox
Diwali Detoxदीपावली डिटॉक्स: दीपावली का पर्व खुशियों, रोशनी और मिठाइयों का प्रतीक है। हालांकि, इस दौरान मिठाइयों, भारी भोजन और पटाखों के धुएं का सेवन हमारे शरीर और पाचन तंत्र पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। कई बार इस समय पाचन अग्नि कमजोर हो जाती है, जिससे बिना पचे भोजन के रूप में 'आम' यानी टॉक्सिन्स शरीर में जमा हो जाते हैं। आयुर्वेद में इसे गंभीरता से लिया जाता है और इससे निपटने के लिए कई सरल उपाय सुझाए गए हैं।
पाचन अग्नि को पुनर्जीवित करें
प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथ जैसे चरक संहिता और अष्टांग हृदयम इस बात पर जोर देते हैं कि त्योहारों के बाद हमें अपनी पाचन शक्ति को तुरंत सक्रिय करना चाहिए। सुश्रुत संहिता में यह भी कहा गया है कि अतिभोजन के बाद हल्का और सुपाच्य आहार लेना आवश्यक है। इससे न केवल पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है, बल्कि शरीर से हानिकारक टॉक्सिन्स भी बाहर निकलते हैं।
दो जादुई उपाय: अभ्यंग और पाचन चूर्ण
त्योहारों के बाद न केवल पेट, बल्कि मन और फेफड़े भी थकावट महसूस करते हैं। आयुर्वेद इसके लिए दो विशेष उपाय सुझाता है:
अभ्यंग (तेल मालिश)
त्योहारों की भागदौड़ से वात दोष बढ़ जाता है, जिससे थकान, बेचैनी और दर्द हो सकता है। रोजाना हल्के तिल के तेल या आयुर्वेदिक तेल से शरीर की मालिश करने से रक्त संचार में वृद्धि होती है, मांसपेशियों को आराम मिलता है, और मानसिक तनाव कम होता है। अभ्यंग से शरीर और मन दोनों को राहत मिलती है।
त्रिकटु: इसमें सौंठ (अदरक), काली मिर्च और पिप्पली का मिश्रण होता है, जो पाचन अग्नि को तेज करता है और टॉक्सिन्स को पचाने में मदद करता है।
हिंगवाष्टक चूर्ण: इसमें हींग, जीरा और सेंधा नमक शामिल हैं, जो पेट की अम्लता और गैस को तुरंत शांत करते हैं। खाने से पहले थोड़ा सा लेने से पाचन तंत्र सामान्य होता है।
मन की शांति के लिए प्राणायाम और मौन
दीपावली की चकाचौंध, शोर और सामाजिक व्यस्तता से मन में बेचैनी और तनाव बढ़ जाता है। शरीर के साथ-साथ मन को भी डिटॉक्स करना आवश्यक है।
प्राणायाम: रोजाना 10 मिनट अनुलोम-विलोम (वैकल्पिक नासिका श्वास) और भ्रामरी प्राणायाम करें। ये फेफड़ों को धुएं के प्रभाव से बचाते हैं और मन को तुरंत शांति प्रदान करते हैं।
मौन: दिन में 5-10 मिनट के लिए पूर्ण मौन रहकर ध्यान करना मानसिक शांति और विश्राम का एक प्राकृतिक तरीका है, जो मन और शरीर दोनों के लिए डिटॉक्स की तरह काम करता है।